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बस उसकी दिल्लगी का शोंक था मैं जानता था एक दिन छूट

बस उसकी दिल्लगी का शोंक था मैं जानता था एक दिन छूट जाऊंगा...।
तुझको यूँ मनाते मनाते न था मालूम खुद से इस क़द्र रूठ जाऊंगा...।
सुना है उसने जगाई है मुझसे गले लगने की तमन्ना "पवन"...।
मुश्किल से समेटा है मैनें अपने टुकड़ो को तुझे छुआ तो मैं फिर टूट जाऊंगा..।
बस उसकी दिल्लगी का शोंक था मैं जानता था एक दिन छूट जाऊंगा...।
तुझको यूँ मनाते मनाते न था मालूम खुद से इस क़द्र रूठ जाऊंगा...।
सुना है उसने जगाई है मुझसे गले लगने की तमन्ना "पवन"...।
मुश्किल से समेटा है मैनें अपने टुकड़ो को तुझे छुआ तो मैं फिर टूट जाऊंगा..।