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रिश्तों को निभाने के समय किसी के आगे इतना मत झुको

रिश्तों को निभाने के समय किसी के आगे इतना मत झुको कि उठते वक्त सहारे की जरुरत पड़े । क्योंकि जो आपको झुका रहा है, वो आपको उठने में कभी मदद नहीं करेगा । "और" जो रिश्तों को झुकाने में विश्वास करता है, वो कभी रिश्तों को निभाने में विश्वास नहीं कर सकता । "ऐसे" रिश्ते को उनके हाल पर छोड़ देना या समय को प्रतिकूल जानकर शांत बैठ जाना ही अच्छा है । कोई अपना है या हम किसी के हों क्या फर्क पड़ता है !! अपना वही है जो हर हाल में आपको आगे बढ़ाता है, जो पीछे धकेल रहा है वो कभी आपका नहीं हो सकता है । RAJA BHAI
रिश्तों को निभाने के समय किसी के आगे इतना मत झुको कि उठते वक्त सहारे की जरुरत पड़े । क्योंकि जो आपको झुका रहा है, वो आपको उठने में कभी मदद नहीं करेगा । "और" जो रिश्तों को झुकाने में विश्वास करता है, वो कभी रिश्तों को निभाने में विश्वास नहीं कर सकता । "ऐसे" रिश्ते को उनके हाल पर छोड़ देना या समय को प्रतिकूल जानकर शांत बैठ जाना ही अच्छा है । कोई अपना है या हम किसी के हों क्या फर्क पड़ता है !! अपना वही है जो हर हाल में आपको आगे बढ़ाता है, जो पीछे धकेल रहा है वो कभी आपका नहीं हो सकता है । RAJA BHAI
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Raj Roy

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