खुद से खफ़ा रहके करूँ क्या दिल के झखम की सदा कहूँ क्या बेवफ़ा सनम की रुसवाई में अब कहूँ क्या हरजाई के वो सितम मैं अब जताऊं क्या वो रोता हुआ छोड़ के मशरूफ हैं उसकी याद में अब ये अँखियाँ भिगोऊँ कहाँ दुनिया जालिम क्या होगी अब वो हाथ छोड़ कोई और हाथ थाम चला कहके उसे दिल का हाल सुनाऊँ भी क्या मेरी सिसकियों की आहट अब वो सुने कहाँ बादलों के बरसने का इंतज़ार अब करूँ क्या वो मौसम भीगा उसके साथ अब आये कहाँ #udaasi#लव#यादें#उम्मीद#रिश्तादिलका#