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कला का दम घुटने ना दे, बढते कदम रुकने ना दे, खुलकर

कला का दम घुटने ना दे,
बढते कदम रुकने ना दे,
खुलकर प्रदर्शन कर जरा 
अपने हुनर का बावरे,
सम्मान की यदि बात हो तो 
शीश को झुकने ना दे ।।

©Pushpendra Pankaj
  #me प्रतिभा विकास चाहती है

#me प्रतिभा विकास चाहती है #कविता

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