रात के अंधेरे में चंदा निकला । देखो गली में कोई आजाद तो नहीं । सुनसान राहों में किसी का पैगाम तो नहीं । धीरे-धीरे चलता कोई मुसाफ़िर कहीं उसके रोने की ही आवाज़ तो नहीं । मखमली चादरों में खोयी खुशियाँ शायद किस्मत को मुकम्मल नहीं । आज दफन हो जायेगी रोती बिलखती सासें खत्म होने को है उसके हसीं मुलाकातें । चंद लम्हे प्यार में