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उदासियां चेहरे से नहीं जाती हंसी का मुखौटा पहनकर र

उदासियां चेहरे से नहीं जाती
हंसी का मुखौटा पहनकर रखना पड़ता है !!
आसुओं में बह जाते है कुछ दर्द मेरे
तभी तो हर रोज थोड़ा थोड़ा रोना पड़ता है !!
यहां कौन किसका दर्द समझता है
अपने आप को अकेले ही संभालना पड़ता है !!
अजीब कसमकस है ये जिंदगी भी
जीने के लिए हर दफा मरना पड़ता है !!
कोशिश तकलीफ सहने की रोज करती हूं
तभी तो आईने की तरह खुद को तोड़ना पड़ता है !!
इश्क मुकम्मल नहीं होगा मेरा जानती हूं
मगर जीने के लिए गलतफहमी में रहना पड़ता है !!
रोज हादसे होते है मेरे दिल के साथ
बगावत के डर से जज्बातों को छुपाना पड़ता है !!
तोहीन क्या होती है मैं क्या जानूं
मुझे तो हर लफ्ज़ सुनकर बस मुस्कुराना पड़ता है !!

©Meenu Dalal@185
  #185

185 #Shayari

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