Nojoto: Largest Storytelling Platform

न पति परमेश्वर होता है, न प्रेमी पूजनीय, श्रद्धा त

न पति परमेश्वर होता है,
न प्रेमी पूजनीय,
श्रद्धा तो प्रेम में है जो मन में बसता है
राधा के मन में विवाह का विचार था
रुक्मणि ने प्रेमी ही छीन पति बना लिया
मैं तो मीरा सी हुं शायद न प्रेमी चाहिए न पति
बस अपने मन उजागर प्रेम से संतुष्टि कर ली
किसी के प्रेम को समाज के तराज़ू में तोला नहीं 
जा सकता क्योंकि प्रेम रूई सा कोमल और 
लोहे सा भारी। जैसे कोयले की खदान से निकला कोई बहुमूल्य हीरा....
प्रेम को परिभाषित करने की मुझमें क्षमता नहीं 
पर उसे महसूस अवश्य किया है 
@deepalidp

©Deepali dp
  #deepalidp #mojzamiracle #raterooh #Dilkibaatein #love #prem