ऐसे बेदर्द मुहब्बत का हासिल क्या है सिर्फ रुसवाई है इसमें और मंज़िल क्या है कुछ हक़ीकत कि करें बात कुछ दिल कि सुने जब दिमाग़ ही फ़रेबी है तो फिर दिल क्या है Hasil