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इस भजन में महिलाएं इकट्ठी होकर सालासर जाती हैं! और

इस भजन में महिलाएं इकट्ठी होकर सालासर जाती हैं! और कहते हैं चढ़ गया चढ़ गया बाबाजी का रंग चढ़ गया! सास धोक मारण गई थी सुसरा लंबा पड़ गया! सालासर में रुक्का पड़ गया!
इसी तरह जेठ के लिए बोला जाता है! देवर के लिए बोला जाता है! बेटे बहू के लिए बोला जाता है! ननंद नंदोई के लिए बोला जाता है! पड़ोसी पड़ोसन के लिए बोला जाता है!
कहने का तात्पर्य है सभी बड़े चाव से भाव से बालाजी का भजन करते हुए भाव विभोर होकर नाच उठते हैं!

इस भजन में महिलाएं इकट्ठी होकर सालासर जाती हैं! और कहते हैं चढ़ गया चढ़ गया बाबाजी का रंग चढ़ गया! सास धोक मारण गई थी सुसरा लंबा पड़ गया! सालासर में रुक्का पड़ गया! इसी तरह जेठ के लिए बोला जाता है! देवर के लिए बोला जाता है! बेटे बहू के लिए बोला जाता है! ननंद नंदोई के लिए बोला जाता है! पड़ोसी पड़ोसन के लिए बोला जाता है! कहने का तात्पर्य है सभी बड़े चाव से भाव से बालाजी का भजन करते हुए भाव विभोर होकर नाच उठते हैं! #ज़िन्दगी

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