जीस्त को कोई हमारी तरह काटे । कोई ऐसा हो जो कुदरत का लिखा काटे । फ़सल- ए - इश्क़ हमारी बोई हुई है । हमारे हिस्से के दर्द दूसरा क्यों काटे । azeem khan # हमारे हिस्से के दर्द दूसरा क्यों काटे #