#2YearsOfNojoto आज फिर मै उड़ना चाहती हूं अपने सपनों को उड़ान देना चाहती हूं निडर अपने फैसले लेना चाहती हूं कब तलक रखू बंद इन्हें तिजोरी में अब यह भी फडफड़ा रहे तिजोरी में बाहर आ अपने पंख फैलाना चाहती हूं आज फिर मै उड़ना चाहती हूं बेखौफ सपनों को मुकम्मल करना चाहती हूं अपने सपनों की बेचैनी खत्म कर इन्हें आसमान से मिलाना चाहती हूं आज अपने सपनों को मुकाम देना चाहती हूं मंजिल अपने सपनों की पाना चाहती हूं एक उड़ान अपनी भरना चाहती हूं आज फिर में उड़ना चाहती हूं नहीं डरना अब ऊंचाइयों से अपने पांव की बेचैनी खत्म कर बेड़ियों को तोड़ना चाहती हूं आज फिर मैं उड़ना चाहती हूं #nojoto#nojotowriters#mywords#poetry आज फिर मै उड़ना चाहती हूं अपने सपनों को उड़ान देना चाहती हूं निडर अपने फैसले लेना चाहती हूं कब तलक रखू बंद इन्हें तिजोरी में अब यह भी फडफड़ा रहे तिजोरी में बाहर आ अपने पंख फैलाना चाहती हूं आज फिर मै उड़ना चाहती हूं