कल रात अंधेरे में गम ए मोहब्बत मिल गई थी चुपचाप विचारो के समुद्र की जमीन हिल गई थी मैं बैठा रहा ऐश दूर आसमान के पहाड़ों पर वो चुपचाप कही और हवा की लहरों में खिल रही थी पता नही क्यों यह जिंदगी फटी हुई मोहब्बत सील रही थी वो मासूम बन कही और जंगली बाहो में पल रही थी ऐश कल रात अंधेरे में..............