आज मौसम थोड़ा बदला सा लग रहा था आज देर रात घर वापस आ रहा था तो चलते चलते ऐसा लगा जैसे कोई कुछ पूछ रहा है वो हल्की सी ठंडी हवाओं का झोका आता और शरीर के सारे रोम को जगा देता और जब गाडियों के हॉर्न की आवाज आती तो ऐसा लगता जैसे कोई कह रहा हो इतनी रात कहा भटक रहे हो मन थोड़ा उदास हो जाता की क्या ये सवाल करने वाला भी कोई है मेरे पास समझ नही आता थोड़ी दूर जाने पर बैठ गया रास्ते कहने लगे लग रहा है देर रात ही सही सब काम खत्म करके वापस आए हो मैने कहा हां कुछ ऐसा ही है पर अब थोड़ी देर शांत रहना चाहता हु रातरानी आकर कानों में फुसफुसाती है देर हो रही है घर वापस नहीं जाना समझ नही आ रहा था घर जाकर क्या करना वहा की खामोशी से डर लगने लगता है जैसे वो मुझे जगाना चाहती हो और मैं अब सोया हुआ ही रहना चाहता हु क्यों कि ये कान उनकी फोन की घंटी सुनकर उठने वाले थे जो अब इंतजार करने लगते है इसलिए डरता हु घर जाने से आनंद सिंह ©@nanD SingH #हिंदी_कविता #हिंदी_कोट्स_शायरी #हिंदी_साहित्य #हिंदी_उर्दू #हिंदीपोएट्री