#इरफान _खान _श्रद्धांजलि एक सितारा जाने कहाँ चला गया जो सितारों से उठा,सितारों में मिल गया हार गया ज़िंदगी की समर में क्या या रोशनी की सूरज में कहीं खो सा गया आकाश से एक तारा जानें कहा गया सुना है आकाश,इतनी जल्दी क्यूँ गया गुलज़ार था आकाश उसके रौनक से क़भी बेवक़्त उसकी रवानगी अंधेरा कर गया ।। सिफर से चमक कर जो शिखर पर गया देख कर उस्ताद नभ के उसको सिहर सब गया पर वक़्त ने भी साथ उसका बेवक़्त छोड़ दिया बेवक़्त आज इस जहां को अलविदा कह गया ।। ©बिमल तिवारी "आत्मबोध" लेo-लोकतंत्र की हार प्रo-राजमंगल प्रकाशन अलीगढ़