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वक्त ने अरमान हमारा न समझा, मैं ठहरा रहा महमान हमा

वक्त ने अरमान हमारा न समझा,
मैं ठहरा रहा महमान हमारा न समझा,
उसके अगोशो में मैं लिपटा रहा,
उसने भी मुझको अपना ही समझा,
पर लम्हें को ये गवारा न था,
वो हमारा है पर वक्त हमारा न था,
साथ उसने भी दिया मेरी मोहब्बत का,
पर ..........;
वक्त ने अरमान हमारा न समझा...! वक्त ने अरमान हमारा न समझा.....!
वक्त ने अरमान हमारा न समझा,
मैं ठहरा रहा महमान हमारा न समझा,
उसके अगोशो में मैं लिपटा रहा,
उसने भी मुझको अपना ही समझा,
पर लम्हें को ये गवारा न था,
वो हमारा है पर वक्त हमारा न था,
साथ उसने भी दिया मेरी मोहब्बत का,
पर ..........;
वक्त ने अरमान हमारा न समझा...! वक्त ने अरमान हमारा न समझा.....!