वक्त ने अरमान हमारा न समझा, मैं ठहरा रहा महमान हमारा न समझा, उसके अगोशो में मैं लिपटा रहा, उसने भी मुझको अपना ही समझा, पर लम्हें को ये गवारा न था, वो हमारा है पर वक्त हमारा न था, साथ उसने भी दिया मेरी मोहब्बत का, पर ..........; वक्त ने अरमान हमारा न समझा...! वक्त ने अरमान हमारा न समझा.....!