अजीब दास्ताँ है ये, जिन पर हम अपना हक जताते हैं, अक्सर वे ही लोग साथ छोड़ जाते हैं | अजीब दास्ताँ है ये कि साथ तो छूटता है, पर साथ छोड़कर भी वे साथ जोड़ जाते हैं || जिनको हम अपने दिल में बसाते हैं, अक्सर वे ही लोग दिल तोड़ जाते हैं || अजीब दास्ताँ है ये कि दिल तो टूटता है, पर दिल तोड़कर भी वे दिल में रह जाते हैं || शिवम् सिंह सिसौदिया अजीब दास्ताँ है ये