#काल्पनिक दूर कही क्या एक फुल खिला खुशबु जाने कैसे इतनी मिठी आयी आया भवरा मंडराने उसपे ऐसे क्या खबर हवा ने हे उस तक पहुचाई ,,,,,, फुल तो था बड़ा ही शर्मिला देख भवरा जैसे कली मुरझाई की पंखुड़ी उसने बंद अपनी ऐसे जैसे मासुम कली कोई शरमाई ,,,,,, भवरा भी था बड़ा ज़िद्दी बिनती उसने कुछ ऐसे फरमाई ली हे मैंने हर फुल की खुशबु पर पागल इस मन एक तुही कली भाई ,,,,,, फुल कर रहा था विनती अपनी छोड़ मुझे ए पागल हरजाई भवरा न माने कहे छोड़ दे जिद अपनी देख तेरी वजह से ही हे यहाँ रौनक आयी ,,,,,, #माझिकविता #Aug_2019 #👁️👁️ . . .✍️