एकांत ***** ये सन्नाटा जो पैर पसारे तुम्हारे ठीक सामने बैठा है ये उकता गया था सुनकर तुम्हारी चैं चैं पों पों हा हा ही ही, छी छी थू थू उसका दम घुटता था जब आदमी आदमी का ख़ून पीता था उसकी सांस रुकती थी जब उसका सहारा लेकर किसी मज़लूम पर ज़ुल्म होता था कितने ही घर फूंक दिए गए इसी सन्नाटे की आड़ ले ले कर, उसके आगोश में हर रात लुटती आबरू की चीखें उसके कानों के पर्दे फाड़ चुकीं थीं गाड़ियों का शोर उसे पागल करने ही वाला था, कि अचानक उसे गुस्सा आ गया और वो फट के चारों ओर फैल गया बस चारों तरफ़ तबाही ही तबाही थी उसके गुस्से से जो बच गए वो आज घरों में क़ैद बैठे हैं और वो आंख से आंख मिलाए सबको घूर रहा है... अब सब ख़ामोश हैं और इस सन्नाटे की आड़ में बस प्रकृति बोल रही है ©सतेंद्र मनम Ekaant #nature #stayhome #staysafe