उठो द्रोपती वस्त्र सम्भालो अब गोविंद न आएंगे छोड़ो मेहदी शस्त्र सम्भाल खुद ही अपना चीर बचालो धुत बिछाए बैठे है शकुनि मस्तक सब बिक जायेगे उठो द्रोपति वस्त्र सम्भालो अब गोविंद न आएंगे,,.. ....... .... .. .......... . नारी शक्ति