जब ज़ुल्म-ओ-सितम के कोह-ए-गिराँ रूई की तरह उड़ जाएँगे हम महकूमों के पाँव-तले जब धरती धड़-धड़ धड़केगी और अहल-ए-हकम के सर-ऊपर जब बिजली कड़-कड़ कड़केगी हम अहल-ए-सफ़ा मरदूद-ए-हरम मसनद पे बिठाए जाएँगे सब ताज उछाले जाएँगे सब तख़्त गिराए जाएँगे #faiz ©Mûhãmmàð dãñish #FaizAhmadFaiz #Fascism #India #democracy #you #i #GandhiJayanti2020