तेरी चाहत झूठी या हम झूठे वक्त के हर लम्हे का मेहमान बना बैठा हूँ तेरी खूबसूरती का आखिरी हकदार बना बैठा हूँ तेरी चाहत अब नही मुझसे मेरी भूल के कारण फिर भी तेरा इंतजार किए बैठा हूँ शराफत क्या हैं मेरी,तेरी नजरो मे,तुझको पता हैं फिर भी जमाने मे बदनाम हुए बैठा हूँ नाम बदनाम तो दिखावा है इस मतलबी दुनिया की पर तेरे लिए अपनी पहचान बनाए बैठा हूँ मासूमियत देखकर मेरे चेहरे की,हर किसी के लफ्जों पर रहता है सिर्फ मेरा नाम,बस एक लबो की हँसी के लिए अपनी मासूमियत छिपाए बैठा हूँ एहसास तो तेरा अबतक कुछ भी नही मुझसे पर सपनो मे भी तेरी परछाई को पहचान बैठा हूँ जिन्दगी भी एक कविता की तरह होती हैं कभी गुलाब के पंखुरीयो मिठी खुशबू तो कभी चुभते हुए काँटो की उफ होती हैं अगर न हो तेरा साथ तो ये कविता टूटकर दर्द भरी शायरीयो मे बिखर जाती हैं और हो अगर मेरे हाँथो मे तेरा हाथ तो यही कविता जिन्दगी की एक खुबसूरत कहानी बन जाती हैं मनीष #MOKSHA#TATSAM#NSIT#NOJOTO