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ज़िक्र, फ़िक्र, तलाश हमने सब छोर दिया, हमने गैरों

ज़िक्र, फ़िक्र, तलाश हमने सब छोर दिया,
हमने गैरों को याद करना कबका ना छोर दिया,
उसने जो बनाया था रिश्ता किस्तों पे,
हमने किस्तों के रिस्तो को कबका ना छोर दिया।
बचा ना कोई जिससे अपना कह सकूं
रिश्ते सब बस नाम के थे,
पक्के ना कोई जुबान के थे,
रिश्तों मे तलबगार की कमी ना थी,
जिंदगी इतनी बेइमान भी ना थी
अच्छा होता अगर कोई अपना ना होता
जिंदगी में कोई तलबगार ना होता
ना होता अगर एहसान जिंदगी का 
तो शायद अच्छा होता
गलती तेरी है यश,अगर वो गलती न होता
तो जिंदगी थोड़ा आसान होता।

©The YC Emperor
  ज़िक्र, फ़िक्र, तलाश हमने सब छोर दिया,
हमने गैरों को याद करना कबका ना छोर दिया,
उसने जो बनाया था रिश्ता किस्तों पे,
हमने किस्तों के रिस्तो को कबका ना छोर दिया।
बचा ना कोई जिससे अपना कह सकूं
रिश्ते सब बस नाम के थे,
पक्के ना कोई जुबान के थे,
रिश्तों मे तलबगार की कमी ना थी,

ज़िक्र, फ़िक्र, तलाश हमने सब छोर दिया, हमने गैरों को याद करना कबका ना छोर दिया, उसने जो बनाया था रिश्ता किस्तों पे, हमने किस्तों के रिस्तो को कबका ना छोर दिया। बचा ना कोई जिससे अपना कह सकूं रिश्ते सब बस नाम के थे, पक्के ना कोई जुबान के थे, रिश्तों मे तलबगार की कमी ना थी, #Quotes

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