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ना तू मिलता है और ना ये सुकून मिलता है पता नही कब

ना तू मिलता है और ना ये सुकून मिलता है
पता नही कब मगर यह वक़्त चुपचाप हर पल निकलता है
दूर से देखती हुई उन ऐश ए अमीर नजरो में कुछ खोया सा अधूरा नसीब दिखता है
खरीद लाता बाजार ए वक़्त से तेरा अच्छा वक्त में पर यहा वक़्त नही जिस्म ए  ईमान बिकता है

 मिलता है
ना तू मिलता है और ना ये सुकून मिलता है
पता नही कब मगर यह वक़्त चुपचाप हर पल निकलता है
दूर से देखती हुई उन ऐश ए अमीर नजरो में कुछ खोया सा अधूरा नसीब दिखता है
खरीद लाता बाजार ए वक़्त से तेरा अच्छा वक्त में पर यहा वक़्त नही जिस्म ए  ईमान बिकता है

 मिलता है
ashjain9700

Ash Jain

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