Nojoto: Largest Storytelling Platform

जाने कितनी बातें रह जाती हैं कहने को कभी छिपकर कोन

जाने कितनी बातें
रह जाती हैं कहने को
कभी छिपकर कोने में
कभी घुटकर सीने में
उनका निकलना भी है ज़रूरी
आती जाती सांसों के साथ #बस_यूँ_ही #इंटरनेट
जाने कितनी बातें
रह जाती हैं कहने को
कभी छिपकर कोने में
कभी घुटकर सीने में
उनका निकलना भी है ज़रूरी
आती जाती सांसों के साथ #बस_यूँ_ही #इंटरनेट