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लबों की खामोशी कुछ तो बयां करती है। मोहब्बत या नफर

लबों की खामोशी कुछ तो बयां करती है।
मोहब्बत या नफरत कुछ तो बयां करती है।

इक लड़की पे ही क्यूं जाकर,जुबां लड़खड़ाती है?
लड़खड़ा हट कुछ तो बयां करती है।

तुम्हें कब से शौक हो गया परिंदों को रिहा करने का।
पिंजरे का खालीपन कुछ तो बयां करती है।

याद करके आसूं बह जाना।
आंखों का दारिया कुछ तो बयां करती है।

आशु मिश्रा"प्रेमी"

©Ashu #ishq 
#Love 
#Mohbbaat 
#Yaad 
#Ladki 
#urdu 
#gajal 
#Pyar
लबों की खामोशी कुछ तो बयां करती है।
मोहब्बत या नफरत कुछ तो बयां करती है।

इक लड़की पे ही क्यूं जाकर,जुबां लड़खड़ाती है?
लड़खड़ा हट कुछ तो बयां करती है।

तुम्हें कब से शौक हो गया परिंदों को रिहा करने का।
पिंजरे का खालीपन कुछ तो बयां करती है।

याद करके आसूं बह जाना।
आंखों का दारिया कुछ तो बयां करती है।

आशु मिश्रा"प्रेमी"

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