ज़िंदगी शतरंज सी (अनुशीर्षक में पढ़ें) ज़िंदगी शतरंज सी ज़िंदगी रही हमारी शतरंज के खेल की तरह चाहे पासे सही पड़े या गलत, जीने की ढूंढ ही ली हमने वज़ह हर कोई चलता रहा हमारे संग नित नई चाल अपने आत्मविश्वास को सदा बना कर रखा हमने अपनी ढाल