इश्क़ जब से देखे हैं मैंने तेरे ये होंठ, गुलाब की पंखुड़ियों का रंग अब फीका लगता है,, सूरज की उभरती किरणों से ज्यादा, मुझे तेरे आंखों की चमक का तंज अब तीखा़ लगता है,, और दरमियां बढ़ती नजदीकियों को मैं इश्क कहूं या महज़ एक भ्रम,, मुझे हर भंवरे की फूलों की चाहत से ज्यादा ,, तेरे साथ बिताए गए हर लम्हें अब जीना लगता है।। ✓ Vikas ✓ #इश्क़ vkcareerguru