मुझे जीत का शौक नहीं, मैं हार जाना चाहता हूँ. मैं अपनों के हाथों ही "शिकस्त" खाना चाहता हूँ. वो जीत, जीत नहीं जो अपनों को मुझसे दूर कर दे, मैं हार कर ही उनके होंठों पर हंँसी लाना चाहता हूँ. ये शतरंज की चाल, ये तो मेरे समझ के बाहर है, मैं नासमझ बनकर ही, अपनों के बीच रहना चाहता हूँ . कृपया "Caption" को ध्यानपूर्वक पढ़े। आज के शब्द है👉 🌸"शिकस्त= पराजय, हार,विफलता"🌸 🌻"Shikast- Defeat"🌻 इन शब्दों पर एक रचना लिखें।