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दोस्ती की खातिर झुकते रहे बार -बार, जाने तुम क्या

दोस्ती की खातिर झुकते रहे बार -बार, जाने तुम क्या समझ बैठें
अरे जन्हा करतो हो तुम गुलामी , यार वो भी यहां ठोकर पर बैठे दगा बाज यार,,

#Dosti
दोस्ती की खातिर झुकते रहे बार -बार, जाने तुम क्या समझ बैठें
अरे जन्हा करतो हो तुम गुलामी , यार वो भी यहां ठोकर पर बैठे दगा बाज यार,,

#Dosti