पल्लव की डायरी उगलती आग,झूठ का आधार है हिंसा से धर्म का होता शंखनाद है वैमनस्यता का शिकार होता आज समाज है सत्ता के दम पर, आगजनी पत्थरबाजों को प्रोत्साहन है घृणा की लगी है चिंगारी नारो और बयानबाजी से खतरे में समाज है जीने नही दोगे सभ्यताओं को अगर हर कालखण्ड को दोहराओ को मुर्दे कब्र से निकालकर ढोंग धर्म का फैलाओगे साजिशों से एकता अखण्डता खण्डित कर महापुरुषों के चरित्रों और आदर्शों को जलाओगे प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Likho हिंसा से होता धर्म का शंखनाद है