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मांडवी क्यों कवियों की लेखनी में मांडवी ही उपेक्ष

मांडवी

क्यों कवियों की लेखनी में
मांडवी ही उपेक्षित की गई?
पूछती हूं
क्या नहीं थी वो पतिव्रता
या फ़िर नहीं देखी गई उनकी व्यथा।
जिस घर में वो पली बड़ी
पाए जहां संस्कार थे,
क्या जनक और सुनैना ने
दिए सबको अलग अलग संस्कार थे।
ब्याही दशरथ के घर
भरत की भार्या बनकर
छूटी भी ना थी हाथ की मेहंदी
कि बन गई भरत की तजनीय।
मां की ममता ने मांगा था राज काज
पिता ने ना दिया था कोई वनवास
रानी बनने का नहीं था कोई सपना
बस सुख दुःख का साथी बनना था
क्यों छीना भरत ने उससे यह हक़ था
क्या उसका नहीं कोई सपना था?
सीता हुईं राम के संग वनवासी
उर्मिला को भी लक्ष्मण के लौटने की आस थीं।
एक क्षण ‍का भी विलम्ब हुआ 
त्यागते भरत अपने प्राण
भरत का सुनकर कठोर संकल्प
मांडवी का हुआ पल पल दिल बैचेन।
महलों में वो क्या चैन से रह पाई होंगी?
पूछती हूं क्यों कवियों की लेखनी में
मांडवी ही उपेक्षित की गईं?

©Sharddha Saxena मांडवी
मांडवी

क्यों कवियों की लेखनी में
मांडवी ही उपेक्षित की गई?
पूछती हूं
क्या नहीं थी वो पतिव्रता
या फ़िर नहीं देखी गई उनकी व्यथा।
जिस घर में वो पली बड़ी
पाए जहां संस्कार थे,
क्या जनक और सुनैना ने
दिए सबको अलग अलग संस्कार थे।
ब्याही दशरथ के घर
भरत की भार्या बनकर
छूटी भी ना थी हाथ की मेहंदी
कि बन गई भरत की तजनीय।
मां की ममता ने मांगा था राज काज
पिता ने ना दिया था कोई वनवास
रानी बनने का नहीं था कोई सपना
बस सुख दुःख का साथी बनना था
क्यों छीना भरत ने उससे यह हक़ था
क्या उसका नहीं कोई सपना था?
सीता हुईं राम के संग वनवासी
उर्मिला को भी लक्ष्मण के लौटने की आस थीं।
एक क्षण ‍का भी विलम्ब हुआ 
त्यागते भरत अपने प्राण
भरत का सुनकर कठोर संकल्प
मांडवी का हुआ पल पल दिल बैचेन।
महलों में वो क्या चैन से रह पाई होंगी?
पूछती हूं क्यों कवियों की लेखनी में
मांडवी ही उपेक्षित की गईं?

©Sharddha Saxena मांडवी

मांडवी #Poetry