रिवाज़-ए-मुँह दिखाइमें, दूल्हा ज़रा इतरा गया । मेहबूबकी आड़ में, कैसे चाँद ज़मी पर आ गया । यकीं नहीं होता साँसो पर, हाथमें उसका हाथ है, Nidhi टुकड़ा मेरे दिलका आज, पूरी क़ायनात पर छा गया । #दूल्हा #nanhikalam