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रिवाज़-ए-मुँह दिखाइमें, दूल्हा ज़रा इतरा गया । मेहब

रिवाज़-ए-मुँह दिखाइमें,
दूल्हा ज़रा इतरा गया ।

मेहबूबकी आड़ में,
कैसे चाँद ज़मी पर आ गया ।

यकीं नहीं होता साँसो पर, 
हाथमें उसका हाथ है, Nidhi

टुकड़ा मेरे दिलका आज,
पूरी क़ायनात पर छा गया । #दूल्हा #nanhikalam
रिवाज़-ए-मुँह दिखाइमें,
दूल्हा ज़रा इतरा गया ।

मेहबूबकी आड़ में,
कैसे चाँद ज़मी पर आ गया ।

यकीं नहीं होता साँसो पर, 
हाथमें उसका हाथ है, Nidhi

टुकड़ा मेरे दिलका आज,
पूरी क़ायनात पर छा गया । #दूल्हा #nanhikalam