ऐ दोस्त हम ने तर्क-ए-मोहब्बत के बावजूद महसूस की है तेरी ज़रूरत कभी कभी ऐ दोस्त हम ने तर्क-ए-मोहब्बत के बावजूद महसूस की है तेरी ज़रूरत कभी कभी नासिर काज़मी