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सकल विश्व को जिसने अपने ज्ञान सूर्य से दीप्त किया

सकल विश्व को जिसने अपने ज्ञान सूर्य से दीप्त किया
उसकी प्रभातकिरण से आज क्यों रक्तचित्र सा भास हुआ 
क्यों थमा रुका सा है प्रवात
क्यों आक्रोशित सी सरिता है
क्यों मूक तरु के मलिन पुष्प पर उन्मन सा गुंजन बैठा है 
बिन बादल घनघोर घटा क्या आसमान में छाई है
या सूर्य राहु ग्रास बना और दिवस अमावस आई है
कलरव से हाहाकार हुआ क्यों
मुदित मुदित सा काल हुआ क्यों
पत्तों से गिरती बूंदों से वृक्षों का आर्तनाद हुआ क्यों
व्याकुल चितवन आकुल मधुबन
क्यों नीरवता का भान हुआ 
 हे गंगे तेरी भूमि पर फिर नारी का अपमान हुआ। हे 
ऋषियों की भूमि पर मैंने उस निर्ममता को देखा है
पूजित होती दुर्गा रूपी उस नारी को मरते देखा है 
हरबार प्रकृति सी नारी क्यों अपनों से ही छली जाती है
फिर लज्जित होती मानवता जा विवरों में छिप जाती है
हे भरतपुत्र हे आर्यश्रेष्ठ उठ जाग तू अब तो खोल नेत्र 
रजनी का अवसान तो कर नवप्रभात का आह्वान तो कर 
क्यों अंधकार में पड़ा हुआ है ज्ञानदीप दर खड़ा हुआ
उपनिषदों की वाणी को पढ़ उठ धर्म की उस राह पर बढ़ 
ममता का परिचय माता है वह पत्नी भगिनि सुजाता है
उस नारी का सम्मान तो कर पुनिभूमि का अपमान न कर
है सृष्टि का तू जीवश्रेष्ठ मानवता का परित्याग न कर
उस शक्ति का सम्मान तो कर उस नारी का अपमान न कर #नारी
#मिशन शक्ति
#सम्मान
#Yourquote
#YQdidi
सकल विश्व को जिसने अपने ज्ञान सूर्य से दीप्त किया
उसकी प्रभातकिरण से आज क्यों रक्तचित्र सा भास हुआ 
क्यों थमा रुका सा है प्रवात
क्यों आक्रोशित सी सरिता है
क्यों मूक तरु के मलिन पुष्प पर उन्मन सा गुंजन बैठा है 
बिन बादल घनघोर घटा क्या आसमान में छाई है
या सूर्य राहु ग्रास बना और दिवस अमावस आई है
कलरव से हाहाकार हुआ क्यों
मुदित मुदित सा काल हुआ क्यों
पत्तों से गिरती बूंदों से वृक्षों का आर्तनाद हुआ क्यों
व्याकुल चितवन आकुल मधुबन
क्यों नीरवता का भान हुआ 
 हे गंगे तेरी भूमि पर फिर नारी का अपमान हुआ। हे 
ऋषियों की भूमि पर मैंने उस निर्ममता को देखा है
पूजित होती दुर्गा रूपी उस नारी को मरते देखा है 
हरबार प्रकृति सी नारी क्यों अपनों से ही छली जाती है
फिर लज्जित होती मानवता जा विवरों में छिप जाती है
हे भरतपुत्र हे आर्यश्रेष्ठ उठ जाग तू अब तो खोल नेत्र 
रजनी का अवसान तो कर नवप्रभात का आह्वान तो कर 
क्यों अंधकार में पड़ा हुआ है ज्ञानदीप दर खड़ा हुआ
उपनिषदों की वाणी को पढ़ उठ धर्म की उस राह पर बढ़ 
ममता का परिचय माता है वह पत्नी भगिनि सुजाता है
उस नारी का सम्मान तो कर पुनिभूमि का अपमान न कर
है सृष्टि का तू जीवश्रेष्ठ मानवता का परित्याग न कर
उस शक्ति का सम्मान तो कर उस नारी का अपमान न कर #नारी
#मिशन शक्ति
#सम्मान
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