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हमने एक शाम चरागों से सजा रखी है शर्त हवाओं से लगा

हमने एक शाम चरागों से सजा रखी है
शर्त हवाओं से लगा रखी 
हैं
शायद आ जाए कोई हमसे भी ज्यादा प्यासा
इसीलिए तो बचा के रखी है

©सुनील मिश्रा
  चिरागो