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मिट्टी के हो तुम भी मिट्टी के हैं हम भी, फिर क्य

मिट्टी के हो  तुम भी मिट्टी के हैं  हम भी,
फिर क्यों ना साथ मिलकर बांट ले थोड़े गम भी ।
ये शरीर तो पूरा नश्वर है भरा मोह माया यहां दर दर है,
हम थोड़ा ज्यादा चलेंगे, तुम चलना थोड़ा कम भी ।
मिट्टी है यहां हम भी मिट्टी के हो तुम भी  .....

-  वीरा अनजान 









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©Bir Bahadur Singh #Mulaayam
मिट्टी के हो  तुम भी मिट्टी के हैं  हम भी,
फिर क्यों ना साथ मिलकर बांट ले थोड़े गम भी ।
ये शरीर तो पूरा नश्वर है भरा मोह माया यहां दर दर है,
हम थोड़ा ज्यादा चलेंगे, तुम चलना थोड़ा कम भी ।
मिट्टी है यहां हम भी मिट्टी के हो तुम भी  .....

-  वीरा अनजान 









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©Bir Bahadur Singh #Mulaayam