पुष्पदलों सा हो यह जीवन स्वयं भी महके जग भी महकाए। इसकी महक मनमुग्ध करे प्रेम को सबके मन में उपजाए।। सफलता रूपी चले बयार जो स्पर्श इसे करने को तरसे। प्रगति उन्नति से समृद्ध मेघ भी इस पर आकर के बरसे।। ऐसा जीवन जो स्वयं के साथ औरों को भी भाए। पुष्पदलों सा हो यह जीवन स्वयं भी महके जग भी महकाए।। खुशियाँ रूपी उसत्व प्रतिदिन इससे सामीप्य बनाएँ। न छोड़ें ये साथ कभी भी एक बार जो हाथ बढ़ाएँ।। जीवन बन जाए पवित्र गंगा सा सम्मान सभी से पाए। पुष्पदलों सा हो यह जीवन स्वयं भी महके जग भी महकाए।। ज्ञान विज्ञान का प्रकाश इसे करता रहे प्रकाशित। किसी भी स्थिति में यह न हो कभी किसी पे आश्रित।। यह जीवन हो एक सुंदर गीत सा हर कोई गाता जाए। पुष्पदलों सा हो यह जीवन स्वयं भी महके जग भी महकाए।। ✍️अवधेश कनौजिया #जीवन #जीवनकेदिनचार #ज़िंदगी #ज़िन्दगी #जीत #कविता #लाइफ