मुझे लगता है मैंने ये प्रतियोगिता गलती से करवा दी शायद आप लोगों को कोई दिलचस्पी नहीं है अपने प्रिय को पत्र लिखने में? ये अनुमान नहीं तथ्य बता रहे हैं.... खैर वो तो आपकी मर्ज़ी है... कोई ज़ोर जबरदस्ती तो है नही.... मुझे तो लिखना है...आज का पत्र अपनी प्रेमिका के नाम पहली वाली प्रेमिका अरे हां ना एक और भी है आज इससे मिल लो फिर दूसरी से भी मिल लेना... बचपन से ही प्रेम रोग लग गया उस सांवली भूरी सी नटखट सी कांच के लिबास में मुसकुराती..... कभी दूध सफेद दूध से प्यार हुआ...घर में तब अकेला बच्चा था...ठाठ थे... सब फरमाइशें पूरी हो जाती... धीरे धीरे तीन भाई बहन और आए तो दूध का रंग बदल के भूरा सा हो गया....वही महंगाई का कमाल... मगर जाने कब मुझे इस भूरी तुर्श नटखट सी चाय से मोहब्बत हो गई...