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#OpenPoetry कौन हूँ मैं,इस भीड़ मे तन्हा भी और तरबत

#OpenPoetry कौन हूँ मैं,इस भीड़ मे
तन्हा भी और तरबतर
लम्हों की ये ज़िन्दगी
सदियों का है ये  सफर
कौन हूँ मैं,इस भीड़ में
कभी इधर, कभी उधर
मंज़िल की खबर कहाँ
है नहीं, कोई आशियाँ
ढल रही है ये ऊमर
कभी दुआ कभी फिक्र
कौन हूँ मैं ,इस भीड़ में
तन्हा भी और ...तरबतर #OpenPoetry #पारस #तन्हाई #ज़िन्दगी #सफर
#OpenPoetry कौन हूँ मैं,इस भीड़ मे
तन्हा भी और तरबतर
लम्हों की ये ज़िन्दगी
सदियों का है ये  सफर
कौन हूँ मैं,इस भीड़ में
कभी इधर, कभी उधर
मंज़िल की खबर कहाँ
है नहीं, कोई आशियाँ
ढल रही है ये ऊमर
कभी दुआ कभी फिक्र
कौन हूँ मैं ,इस भीड़ में
तन्हा भी और ...तरबतर #OpenPoetry #पारस #तन्हाई #ज़िन्दगी #सफर