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जो स्वयं प्रकाश है अंधेरा उससे डरता है दुष्टता दिख

जो स्वयं प्रकाश है
अंधेरा उससे डरता है
दुष्टता दिखाने में असमर्थ मलिन
अपनी होनी को ढूंढता है!
आत्म जगत में स्वार्थ निहित नहीं तनिक
परोपकार भाव मात्र बसता है
क्रोध, काम से विरत वह ध्यानी
ध्यान की सुराही सदा भरता है!!

©Rohini Singh
  #ShubhDeepawali