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फ़ुरसत के लम्हों में एक बार सोचना ज़रूर... आख़िर त

फ़ुरसत के लम्हों में एक बार सोचना ज़रूर...
आख़िर तुम बिन मैं कैसे जिंदा हूं हुजूर...
वो हर सांस के साथ तेरा याद आना मुझे...
फिर भी मुमकिन कैसे होगा रहना यूं  दूर दूर...

....तृप्ति #फ़ुरसत
फ़ुरसत के लम्हों में एक बार सोचना ज़रूर...
आख़िर तुम बिन मैं कैसे जिंदा हूं हुजूर...
वो हर सांस के साथ तेरा याद आना मुझे...
फिर भी मुमकिन कैसे होगा रहना यूं  दूर दूर...

....तृप्ति #फ़ुरसत