हुस्न धतूरा दिल मंजीरा चल...धूनी रमाते हैं शाम सुहागन रात बंजारन चल...चिल्लम जलाते हैं मन बनारस तन बनारस चल...इश्क़ लड़ाते हैं #धतूरे जैसा #इश्क़ मेरा #नासिली तेरी आँखे रोक लू कैसे अपने #दिल को कुछ कहना चाहता है पास #बुलाके