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क्या खता थी मेरी जरा मुझको बता, मैं संभला नहीं और

क्या खता थी मेरी जरा मुझको बता,
मैं संभला नहीं और ही गिरता गया,
हम तन्हा अकेले जिएंगे कैसे,
अब तू ही बता हम रहेंगे कैसे,
क्यों करके अकेला चला ...............!
जाने किस लोक को,
छोड़कर आलोक को,
इस भरी महफिल में,
करके तन्हा दिल को,
क्यों मुझको ऐसे छोड़ चला...........!
एक पल भी न आया खयाल तुम्हें,
कच्ची राहें डगर कच्चा है रास्ता ,
चल न पाऊं मैं जिस डगर पर,
कैसे संभलू कैसे चलूं रास्ता,
अब इतना तू मुझको बता............! क्यों मुझको ऐसे छोड़ चला...........!
क्या खता थी मेरी जरा मुझको बता,
मैं संभला नहीं और ही गिरता गया,
हम तन्हा अकेले जिएंगे कैसे,
अब तू ही बता हम रहेंगे कैसे,
क्यों करके अकेला चला ...............!
जाने किस लोक को,
छोड़कर आलोक को,
इस भरी महफिल में,
करके तन्हा दिल को,
क्यों मुझको ऐसे छोड़ चला...........!
एक पल भी न आया खयाल तुम्हें,
कच्ची राहें डगर कच्चा है रास्ता ,
चल न पाऊं मैं जिस डगर पर,
कैसे संभलू कैसे चलूं रास्ता,
अब इतना तू मुझको बता............! क्यों मुझको ऐसे छोड़ चला...........!