यार मैं अभी शर्मिंदा हुँ। हिज्र मैं भी जिंदा हुँ।। वो प्यार देखती है मेरा। और मैं प्यार में अंधा हुँ।। वो उस खुदा की बन्दी नहीं। मैं जिस खुदा का बन्दा हुँ।।। भास्कर कवि