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इधर तुम्हे देखने की ख्वाइश है उधर तुम्हे गुमराह

इधर तुम्हे देखने की ख्वाइश  है
उधर  तुम्हे  गुमराह होने का डर

समझ  नहीं  आता  कैसे  आऊं
है  मुझसे  बहुत दूर तुम्हारा  घर

इत्तेफाक  है  या खुदा की नेमत
कहने को एक है दोनो का शहर

हां 'ओजस'  तुम्हें  याद करता है
सुबह  से  हर दिन के चारों पहर

©ओजस" Madhu Chauhan✍️ Adil Ali Saharanpuri Madhu Chauhan✍️ Arun Sharma Adil Ali Saharanpuri
इधर तुम्हे देखने की ख्वाइश  है
उधर  तुम्हे  गुमराह होने का डर

समझ  नहीं  आता  कैसे  आऊं
है  मुझसे  बहुत दूर तुम्हारा  घर

इत्तेफाक  है  या खुदा की नेमत
कहने को एक है दोनो का शहर

हां 'ओजस'  तुम्हें  याद करता है
सुबह  से  हर दिन के चारों पहर

©ओजस" Madhu Chauhan✍️ Adil Ali Saharanpuri Madhu Chauhan✍️ Arun Sharma Adil Ali Saharanpuri
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ओजस"

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