my dad क्या लिखूं उस के लिए जिसने मेरी ज़िंदगी ही बदल दी,कैसे उतारू का उनके एहसान जो कुछ भी में कर लूं वो कभी कम ना होंगे,जो मेरी ज़िंदगी के लिए वक़्त से ,समाज से,गरीबी से लड़ गया,जो खुद तो भूखा रहा,मगर मेरा पेट भर गया,है नम आज ऑंखे उसकी बता ये खुदा कैसे उनके गम दूर करू।जो तेरा ही रूप है वो इस दुनिया मे उस पिता को में कैसे खुश राखू जो अकेला ही लड़ गया दुनिया से उसे में कैसे खुश राखू बता मेरे खुदा love uh papa #OpenPoetry