हाथों में मेहंदी, ओठों को लाल करती हो। मधुर मुस्कान नज़रों से कमाल करती हो। चली आती हो सामने सोलह-सिंगार करके- जाने कितनों के दिल को हलाल करती हो।। ©संतोष बरमैया #जय #हुस्न_के_जलवे