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बिल्व धतूरा भांग सिर में गंगा गले में सर्पमाल हलाह

बिल्व धतूरा भांग सिर में गंगा गले में सर्पमाल
हलाहल लिए कंठ में काल भी डरे महाकाल ।
उमापति अंबिकापति मृग्नयन है वो पासुपति
चंद्रशेखर जटा जुट धारी नंदी को करे सारथी ।।
अंत आरंभ मोक्ष वेद पुराण जिसने दिया जग को
उसका क्या  ढूंढना अंत प्रारंभ असीमित नभ को ।।

©Dr Rakesh R Mund #mahadev 
#savankamahina 
#Mahakaal
बिल्व धतूरा भांग सिर में गंगा गले में सर्पमाल
हलाहल लिए कंठ में काल भी डरे महाकाल ।
उमापति अंबिकापति मृग्नयन है वो पासुपति
चंद्रशेखर जटा जुट धारी नंदी को करे सारथी ।।
अंत आरंभ मोक्ष वेद पुराण जिसने दिया जग को
उसका क्या  ढूंढना अंत प्रारंभ असीमित नभ को ।।

©Dr Rakesh R Mund #mahadev 
#savankamahina 
#Mahakaal