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देखो आज हमारी लूट रही हैं अस्मितायें। हर पल यहां अ

देखो आज हमारी लूट रही हैं अस्मितायें।
हर पल यहां अब छलि जा रही है सुताए॥

जहां सबसे बड़ा नारी का ही सम्मान था।
जहां प्रथम पूज्य का उनको वरदान था॥
जहां की बेटियों ने त्याग दी स्वर्ण लंका।
संपूर्ण विश्व में बजता था जिसका डंका॥
उसी भारत में अब रो रही है सीतायें॥

करे विश्वास किस पर कुत्सित सभी है।
बिके के सारे संबंध और वहसी सभी है॥
घर परिवार हाट बाजार हर जगह अब।
बेटियां देखो अब कहीं सुरक्षित नहीं है ॥
रोज सड़कों पे देखो दम तोड़ती निर्भयाए।

सत्ता चढ़ने की सीढ़ीयाँ हो गयीं है।
इज्जत बेटियों की रोटियां हो गई है॥
हर तरफ दर-बदर हो रही बेटियां।
न्याय बन करके बैठा है कठपुतलियां॥
एक तरफ देखो आज जल रही है चिताए।

जब तक रहा बचा स्वाभिमान बेटियों का।
 तब तक रहा नाज़ देश को पीढ़ियों का ॥
 ये गरीबी भुखमरी हर तरफ है लाचारी क्यों है।
 क्योंकि बेटियों के देश में बेटियां बेचारी जो है॥
 पतन है उसका जिस घर रोती हैं ललनाए।

चाहते हो यदि उन्नति के सोपान चढ़ना।
 देश के विश्व सारे दुख व्यवधान हरना॥
नारियों को उनके सारे सम्मान दो तुम।
छीना जो उनके सारे अधिकार दो तुम॥
तभी देश अपना विश्व गुरु फिर कहाए। "देखो आज हमारी लूट रही हैं अस्मितायें"

देखो आज हमारी लूट रही हैं अस्मितायें।
हर पल यहां अब छलि जा रही है सुताए॥

जहां सबसे बड़ा नारी का ही सम्मान था।
जहां प्रथम पूज्य का उनको वरदान था॥
जहां की बेटियों ने त्याग दी स्वर्ण लंका।
देखो आज हमारी लूट रही हैं अस्मितायें।
हर पल यहां अब छलि जा रही है सुताए॥

जहां सबसे बड़ा नारी का ही सम्मान था।
जहां प्रथम पूज्य का उनको वरदान था॥
जहां की बेटियों ने त्याग दी स्वर्ण लंका।
संपूर्ण विश्व में बजता था जिसका डंका॥
उसी भारत में अब रो रही है सीतायें॥

करे विश्वास किस पर कुत्सित सभी है।
बिके के सारे संबंध और वहसी सभी है॥
घर परिवार हाट बाजार हर जगह अब।
बेटियां देखो अब कहीं सुरक्षित नहीं है ॥
रोज सड़कों पे देखो दम तोड़ती निर्भयाए।

सत्ता चढ़ने की सीढ़ीयाँ हो गयीं है।
इज्जत बेटियों की रोटियां हो गई है॥
हर तरफ दर-बदर हो रही बेटियां।
न्याय बन करके बैठा है कठपुतलियां॥
एक तरफ देखो आज जल रही है चिताए।

जब तक रहा बचा स्वाभिमान बेटियों का।
 तब तक रहा नाज़ देश को पीढ़ियों का ॥
 ये गरीबी भुखमरी हर तरफ है लाचारी क्यों है।
 क्योंकि बेटियों के देश में बेटियां बेचारी जो है॥
 पतन है उसका जिस घर रोती हैं ललनाए।

चाहते हो यदि उन्नति के सोपान चढ़ना।
 देश के विश्व सारे दुख व्यवधान हरना॥
नारियों को उनके सारे सम्मान दो तुम।
छीना जो उनके सारे अधिकार दो तुम॥
तभी देश अपना विश्व गुरु फिर कहाए। "देखो आज हमारी लूट रही हैं अस्मितायें"

देखो आज हमारी लूट रही हैं अस्मितायें।
हर पल यहां अब छलि जा रही है सुताए॥

जहां सबसे बड़ा नारी का ही सम्मान था।
जहां प्रथम पूज्य का उनको वरदान था॥
जहां की बेटियों ने त्याग दी स्वर्ण लंका।
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