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यूं ही नही उनके हाथों से जाम छलकने लगा है। रंजो ग़म

यूं ही नही उनके हाथों से जाम छलकने लगा है।
रंजो ग़म में मुब्तिला हैं वो शायद सब झलकने लगा है।
मैं तो बदनाम ही सही मयखानों की महफ़िल में ऐ साकी, आजकल शरीफों के घर में भी मयखाना सजने लगा है।

©Mohd Kamruzzama
  💔दर्द जाम में भी है💔

💔दर्द जाम में भी है💔 #कविता

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